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सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

आज बस एक चित्र!

मेल में मिला था। सोचा शेयर कर लूं।

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रविवार, 27 फ़रवरी 2011

आज बस एक चित्र–!

मेल में मिला था। सोचा शेयर कर लूं।

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शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

मुझे भी बताओ ना!

खदेरन बड़ी तन्मयता से कुछ सोचे जा रहा था और मन्द-मन्द मुस्कुरा रहा था।

फुलमतिया जी ने पूछा, “क्या सोचे जा रहे हो, मुझे भी बताओ ना!”

खदेरन ने कहा, “एक बात याद आ गई। एक विद्वान ने लिखा है कि मूर्ख आदमी की पत्नी खूबसूरत होती है।”

फुलमतिया जी यह सुन इतराती हुई बोलीं, “बस! रहने भी दो!! लगता है मेरी तारीफ़ करने के अलावा तुम्हारे पास कोई और काम है ही नहीं!!!”

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

चिन्ता की लकीरें

डॉक्टर उठावन सिंह ने जियावन की पूरी जांच पड़ताल करने के बाद दवा की एक शीशी दी और कहा, “इस दवा को हफ़्ते में पूरा करो और उसके बाद आकर मिलो।”
जियावन ने हामी भरी, “ठीक है डॉक्टर।”
एक हफ़्ते के बाद जियावन पुनः डॉक्टर से मिला।
जांच करने के बाद डॉक्टर के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खिंच आई। उसने दबे स्वर में पूछा, “दवा ख़त्म हुई क्या?”
जियावन ने जवाब दिया, “नहीं डॉक्टर साहब! उसकी शीशी पर तो लिखा था, बोतल को हमेशा बंद रखें। सो …… मैने …… उसे ……!!”

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

आज सिर्फ़ एक चित्र। इस चित्र का शीर्षक क्या हो?

बहुत दिनों से चित्र को लेकर कोई हास्य सृजन नहीं हुआ। तो इस बार “मैं और मेरा चित्र (कुत्ता)” पर कुछ लिखें।

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मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

गर्लफ़्रेण्ड

एक दिन फुलमतिया जी और खदेरन बाज़ार से गुज़र रहे थे। इतने में एक भिखारी आया और खदेरन को संबोधित करते हुए बोलने लगा, “साहब! दस रुपए दे दो साहब! दस दे दो गर्लफ़्रेण्ड को फोन करना है।”

यह सुन फुलमतिया जी ने खदेरन पर ताना मारा, “देखो! भिखारी भी अपनी गर्लफ़्रेण्ड को कितना प्यार करता है!”

यह सुन भिखारी बोला, “अरे नहीं मेम साहब! बात इसके उलट है। उसे प्यार करने के बाद ही मैं भिखारी बना हूं।”

सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

इंतज़ार

मिस गुनगुनिया ने कक्षा में कहा, “अपनी-अपनी कॉपी में 55 लिखिए।”

बच्चों ने पूछा, “कैसे?”

मिस गुनगुनिया ने समझाया, “पहले एक 5 लिखो, फिर एक और 5 लिखो।”

भगावन बहुत देर से एक 5 लिख कर बैठा था। यह देख कर मिस गुनगुनिया ने पूछा, “तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो? टास्क क्यों नहीं कम्प्लीट कर रहे?”

भगावन बोला, “मैडम! मैं सोच रहा हूं कि दूसरा 5 किस साइड में लिखूं?”

रविवार, 20 फ़रवरी 2011

नहाने का साबुन

फुलमतिया जी ने समझा-बुझा कर खदेरन को बाज़ार भेजा साबुन खरीदने के लिए।

फुलमतिया जी के निर्देशानुसार खदेरन ने दुकानदार से कहा, “एक ऐसा सबुन देना जो बहुत कम घिसे और नहाने के बाद चेहरे पर लाली ला दे,साथ ही दाम भी कम हो।”

दुकानदार ने अपने नौकर से कहा, “साहब को ईंट का टुकड़ा ला कर दे दो!”

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

स्वास्थ्य की बात

डाक्टर उठावन सिंह ने जियावन की पूरी जांच करने के बाद कहा, “आपकी तबीयत अब बिल्कुल ठीक है। आप जा सकते हैं और हां, यह मेरी फीस का बिल, केवल तीस रूपए।”

जियावन के चेहरे पर मुर्दानगी छा गई और बोला, “तीस रूपए? डॉक्टर साहब, मेरे पास तीस रूपए नहीं हैं।”

डॉ. उठावन ने कहा, “अच्छा तो ऐसा करो तुम केवल दस रूपए दे दो।”

जियावन ने कहा, “साहब मेरे पास तो दस भी नही हैं?”

डॉ. उठावन ने समझौता करते हुए कहा,“तो पांच दे दो।”

जियावन बोला, “मेरे पास तो पांच भी नहीं हैं। मेरे पास कुछ भी नहीं है।”

डॉक्टर उठावन को क्रोध आया। गुस्से में बोला- “यदि तुम्हारे पास कुछ नहीं था तो मुझ जैसे बड़े और इतने महंगे डॉक्टर के पास क्यों आए?”

अब मरीज जियावन को भी क्रोध आ गया। बोला- “डॉक्टर साहब, मैं एक बात बता दूं। जब मेरे स्वास्थ्य की बात होती है तो मैं उसके सामने पैसों की बिल्कुल परवाह नहीं करता।”

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

कहर बरपाते हुए मौसम में

झमा-झम वर्षा हो रही थी।

कड़क-कड़क कर बिजली चमक रही थी।

भीगता-भागता खदेरन एक दूकान में धुसा। हांफते-कांपते दुकानदार से बोला, “बड़े भाई! एक डबल रोटी दे दीजिए।”

दुकानदार ने उसकी दयनीय स्थिति देखी। उसे तरस आया। वह पूछ बैठा, “क्या आप शादी-शुदा हैं?”

बेहाल-हाल वाले खदेरन ने चेहरे पर लटकी पानी की बूदों को झटकते हुए कहा, “आप क्या समझते हैं कि इस कहर बरपाते हुए मौसम में मेरी मां मुझे घर के बाहर भेजेगी?”

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

दिन वैलेन्टाइन

मन ऑन लाइन था, और दिन वैलेन्टाइन था।

दिल में उमड़ा प्यार था, हाथ में उपहार था॥

खूबसूरत नज़ारा था, बजा रात के ग्यारा था।

नव दम्पत्ति के मन में खाब ढेर सारा था॥

मियां बीवी लौट रहे थे होटल से खाकर खाना।

तबियत बड़ी रंगीन थी मौसम भी था सुहाना॥

हसबैंड मचल रहा था सुनने को फ़िलमी गाना।

बीवी ने हाथों में हाथें डाल कर छेड़ा ये तराना।

के … भैया मोरे राखी के बंधन को निभाना।

हो … भैया मोरे छोटी बहन को ना भुलाना॥

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

गुज़ारा

रिझावन को बासमतिया से प्रेम हो गया।

वैलेन्टाइन दिवस के रो़ज़ उसने रेड रोज़ लेकर बासमतिया को दिया।

बासमतिया ने, “थैन्क यू!” कहा।

रिझावन ने मौक़ा को अनुकूल पा कर प्रोपोज़ कर दिया, “विल यू मैरी मी?”

बसमतिया बोली, “मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती!”

रिझावन के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका था। बोला, “क्यों?”

बासमतिया ने बताया, “तुम्हारी सैलरी बहुत कम है।”

रिझावन की जान में जान आई, बोला, “क्या मेरी सैलरी तुम्हारे लिए काफ़ी नहीं है?”

बासमतिया ने हंसते हुए कहा, “मेरे लिए तो काफ़ी है, पर फिर तुम कैसे गुज़ारा करोगे?”

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

परफ़ॉर्मेंस

पैरेण्ट-टीचर मीटिंग थी। उसमें बच्चों के परफ़ॉर्मेंस को लेकर चर्चा हो रही थी।

अब खदेरन का नंबर आया।

भगावन भी साथ में था।

images (23)fea8-1_1218219036_mक्लास टीचर मिस स्वीटी ने भगावन की रिपोर्टबुक उसके पापा खदेरन को दिखाते हुए कहा, “आप का लड़का परले दर्ज़े का बेवकूफ़ है। देखिए इसके नम्बर। गणित में 9, साइंस में 6, हिंदी में 8, इंगलिश में 5, सोशल में 7, टोटल 35.’’

खदेरन ने हैरानी से कहा, “अरे वाह! वाह-वाह!! ‘टोटल’ में तो कमाल ही कर दिया भगावन ने!!! इस सब्जेक्ट को तो मैंने पढाया भी नहीं था!!!!”

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

खदेरन और फाटक बाबू के (संवाद) बतकुच्चन --- शोक सभा

खदेरन और फाटक बाबू के (संवाद) बतकुच्चन ---

शोक सभा

पार्क में यूंही बहुत देर से दोनों बैठे थे।

बात-चीत का स्टॉक लगभग ख़त्म था।

पर दोनों को अभी भी घर जाने का  मन नहीं था।

अब बात-चीत बतकुच्चन तक पहुंच गई थी।

इस परिप्रेक्ष्य में ……

खदेरन और फाटक बाबू के (संवाद) बतकुच्चन ---

फाटक बाबू (जम्हाई लेते हुए) :: तुम कभी किसी शोक सभा में गए हो।

खदेरन (आसमान की तरफ़ देखते हुए) :: हां, गया था। (जम्हाई लेते हुए) दो घंटे बैठा रहा … पर किसी ने हंस के बात तक नहीं की।

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

नाखून चबाना

भगावन को बढती उम्र के साथ एक बुरी आदत ने जकड़ रखा था।

बहुत से बच्चों में यह आदत पाई जाती है।

वह अपने हाथों के नाखून चबाने लगा है।

दिन भर उसे कुटुर-कुटुर नाखून चबाते देख खदेरन और फुलमतिया जी चिन्ता में पड़ गए। बहुत प्रयास किया पर उसकी ये आदत छूटती ही नहीं थी।

फाटक बाबू से अपनी समस्या सुनाई। फाटक बाबू ने कहा, “नो प्रोबलम खदेरन! आज आजकल बाबा रामदेव का शिविर लगा हुआ है शहर में। फुलमतिया जी! उसे उसमें भेज दीजिए। उसकी यह बुरी आदत छूट जाएगी।”

दोनों खुश। भगावन को अगले दिन से ही बाबा रामदेव के शिविर में भेज दिया गया।

एक सप्ताह बाद भगावन लौटा। प्रशिक्षित हो कर।

अब वह पैर के भी नाखून चबाने लगा था!!!

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

सुनो कहानी … एक था राजा …

भगावन को नींद नहीं आ रही थी।

उसने अपनी मां से कहा, “मां! मां!! … आज कोई कहानी सुनाओ ना …।”

फुलमतिया जी ने भगावन के सर पर हाथ फेरा और कहानी सुनाना शुरु किया, “एक था राजा …..!”

फुलमतिया जी के आगे कुछ बोलने के पहले ही भगावन ने बात काटते हुए कहा, “ओह मां! कोई और कहानी सुनाओ ना …… टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बारे में मुझे सब पता है!!!”

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

सबसे योग्य बैचलर

वह देश की सबसे शक्तिशाली महिला नेता का बेटा है।

वह देश का सबसे योग्य बैचलर है।

पर उसकी शादी नहीं हो रही है।

वह बड़ा ही दुखी है। अपनी मां के पास जाता है, और कहता है, “मौम! आपकी वजह से मेरी शादी नहीं हो पा रही है।”

उसकी मां परेशान हो जाती है, “क्यों बेटा????????????”

वह बताता है, “आप अपने सारे भाषणों में यह कहती हैं और वही हर तरफ़ लिखा भी है, (……) को बहू – मत – दो !!!!!”

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

पहला ऑप्रेशन

डॉक्टर उठावन सिंह ने अपनी ज़िन्दगी का पहला ऑप्रेशन किया!

ऑप्रेशन के थोड़ी देर बाद ही पेशेंट मर गया!!

मरीज़ के मरने के बाद डॉक्टर ने दीवार पर टंगी भगवान की तस्वीर की ओर हाथ जोड़कर सिर झुकाकर पूरी श्रद्धा के साथ कहा, “हे प्रभू! मेरी ओर से ये पहली भेट स्वीकार कीजिए!!!”

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

न्यूटन एक पेड़ के नीचे

क्लास चल रही थी। शिक्षक पढा रहे थे। भगावन सुन रहा था। उसे शिक्षक की बातें बोरिंग लग रही थी।

भौतिकी की क्लास थी। शिक्षक का कहना था, “न्यूटन एक पेड़ के नीचे, गार्डेन में बैठे थे। तभी एक सेब उनके सिर के ऊपर गिरा …. और रेस्ट इज़ हिस्ट्री … उन्होंने गुरुत्त्वाकर्षण की खोज की! समझे?”

सारे छात्र एक स्वर में बोले, “जी सर्र्र्र्र्र!!”

“किसी को कुछ कहना है?”

भगावन बोला, “जी सर!”

शिक्षक, “क्या?”

भगावन, “अगर वह हमारी तरह क्लास में बैठ कर किताबें पढ रहे होते, शिक्षक की लेक्चर सुन रहे होते, तो कुछ न खोज पाते!”