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गुरुवार, 26 नवंबर 2009

नोंक-झोंक-3

अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।


नोंक-झोंक-3

एक दिन श्रीमती जी ने खींजते हुए कहा, “घर में जवान बेटी बैठी हुई है और तुम्हें कोई चिंता ही नहीं है।”


“क्यों तुम्हें क्यों ऐसा लगता है कि मुझे कोई चिंता नहीं है। पर मैं क्या करूं?”

“कुछ भाग-दौड़ क्यों नही करते?”


“कोई ढंग का लड़का मिले तब तो।“


“सोचो अगर मेरे पिताजी भी ढंग के लड़के कर इंतज़ार करते तो तुम्हारा क्या होता?”

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अगर पसंद आया तो ठहाके लगाइएगा
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